A Review Of Hindi poetry
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला।।८। मिले न, पर, तरसा तरसाकर क्यों तड़पाता है प्याला, किसी तपोवन से क्या कम है मेरी पावन मधुश�
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला।।८। मिले न, पर, तरसा तरसाकर क्यों तड़पाता है प्याला, किसी तपोवन से क्या कम है मेरी पावन मधुश�